पाली। जिला कलक्टर एल.एन. मंत्री के निर्देशानुसार मंगलवार को जिला परिषद सभागार में जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षित इंटरनेट दिवस के अवसर पर एक जागरूकता सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार का उद्देश्य साइबर अपराधों के प्रति लोगों को सतर्क करना और सुरक्षित इंटरनेट उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।
साइबर सुरक्षा पर जागरूकता
सेमिनार में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकेश चौधरी ने इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने साइबर अपराध के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी फर्जी कॉल पर अपनी संवेदनशील जानकारी जैसे ओटीपी, आधार, पैन, या बैंक विवरण साझा न करें। उन्होंने आगाह किया कि अनियंत्रित आधार भुगतान सूचनाओं से सतर्क रहें और अज्ञात नंबरों से प्राप्त किसी भी लिंक पर क्लिक करने से बचें, क्योंकि यह स्कैम का हिस्सा हो सकता है।
उन्होंने टेलीकॉम विभाग के नाम पर आने वाली फर्जी कॉल्स से सतर्क रहने और अपनी डिजिटल पहचान को सुरक्षित रखने की सलाह दी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि मोबाइल पर अनावश्यक ऐप्स को हटा दें और नियमित रूप से ऐप्स की अनुमतियों की जांच करें। साथ ही, सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग बैंकिंग, स्वास्थ्य और कानूनी लेन-देन के लिए न करने की भी सलाह दी गई।
साइबर अपराध से बचाव के उपाय
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (साइबर) मनीष चारण ने बताया कि यदि पाली जिले के किसी नागरिक के साथ साइबर फ्रॉड होता है तो वे तुरंत पुलिस थाना या साइबर पुलिस थाना पाली में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा, हेल्पलाइन नंबर 9530420905 या नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 पर भी शिकायत की जा सकती है। उन्होंने बताया कि जितनी जल्दी शिकायत दर्ज कराई जाएगी, ठगी गई राशि को रोकने की संभावना उतनी अधिक होगी।
सेमिनार में एनआईसी के कपिल उज्जवल, रसद अधिकारी मनजीत सिंह समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। इस जागरूकता अभियान का उद्देश्य नागरिकों को साइबर अपराध से बचाव के उपायों की जानकारी प्रदान करना था।
विशेषज्ञों के सुझाव
इस अवसर पर विभिन्न विशेषज्ञों ने साइबर सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान डिजिटल युग में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, और लोगों को अपने ऑनलाइन गतिविधियों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें, किसी भी अज्ञात ईमेल या मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक करने से बचें, और नियमित रूप से अपने बैंक स्टेटमेंट की जांच करें ताकि किसी भी अनधिकृत लेनदेन का तुरंत पता लगाया जा सके।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचें और दो-स्तरीय सुरक्षा (टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन) का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी अक्सर फिशिंग (Phishing) और स्पूफिंग (Spoofing) जैसी तकनीकों का उपयोग करके लोगों को धोखा देते हैं, इसलिए किसी भी संदिग्ध लिंक या कॉल पर तत्काल सतर्कता बरतनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम में उपस्थित साइबर विशेषज्ञों ने बताया कि ऑनलाइन बैंकिंग करते समय केवल विश्वसनीय वेबसाइटों और मोबाइल ऐप्स का उपयोग करें और हमेशा लेनदेन की पुष्टि के लिए बैंक के आधिकारिक माध्यमों का ही सहारा लें। साथ ही, सार्वजनिक कंप्यूटरों पर इंटरनेट बैंकिंग लॉगिन से बचें और यदि आवश्यक हो तो लॉगआउट करना न भूलें।
भविष्य की योजनाएँ
कार्यक्रम के अंत में, जिला प्रशासन ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक बने रहें और किसी भी प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होने पर तुरंत संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें। इस प्रकार के सेमिनार भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे ताकि आमजन को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा सके। इस सेमिनार का समापन साइबर सुरक्षा के लिए संकल्प लेने के साथ किया गया।