राजस्थान के पाली जिले में स्थित जवाई बांध के हवामहल पहाड़ी के पास गुरुवार को लेपर्ड के हमले में भेड़-बकरियां चरा रहे भोलाराम देवासी की मौत हो गई। इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों, पशुपालकों, किसानों और विभिन्न समाजों के लोगों ने मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा और नौकरी देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। यह धरना 24 घंटे तक चला और तीसरे दौर की वार्ता के बाद प्रशासन की ओर से 15 लाख रुपये का मुआवजा, 5 बीघा भूमि आवंटन और परिवार के एक सदस्य को संविदा नौकरी देने पर सहमति बनी। इसके बाद शाम 7 बजे धरना समाप्त कर दिया गया।
धरने में प्रदर्शनकारियों ने सरकार से जवाई कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में हो रही अवैध सफारी पर रोक लगाने, बिना रजिस्ट्रेशन चल रही जिप्सियों की जांच करवाने और वन विभाग के कर्मचारियों को हटाने की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अवैध सफारी से क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा खतरे में है और स्थानीय लोग भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
इस दौरान बाली विधानसभा क्षेत्र से विधायक पुष्पेंद्रसिंह राणावत ने भी विधानसभा में मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा और नौकरी देने की मांग उठाई। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि अवैध सफारी पर रोक लगाने में लापरवाही बरती जा रही है।
धरने का नेतृत्व किसान संघर्ष समिति आहोर-जालोर के अध्यक्ष जयेंद्रसिंह गलथनी ने किया। उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग की मिलीभगत से रात में अवैध सफारी चलाई जा रही है, जिससे वन्यजीव और स्थानीय लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि बिना रजिस्ट्रेशन और कागजात के जिप्सियां दौड़ रही हैं, लेकिन प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। उन्होंने कलेक्टर और एसपी पर भी आरोप लगाए कि उनके रिश्तेदार इन होटलों में मुफ्त में ठहरते हैं, जिससे अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
प्रशासन के साथ वार्ता और समाधान
धरने में पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी हरिशंकर मेवाड़ा, लालाराम देवासी, रघुवीर सिंह, धन सिंह, नागेश देवासी और नरेंद्र देवासी सहित कई नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार दिनेश आचार्य को ज्ञापन सौंपा, जिसमें जवाईबांध वन विभाग चौकी के कर्मचारियों को हटाने, अवैध सफारी वाहनों को जब्त करने और गोचर भूमि को होटलों को देने के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई।
धरना समाप्त करने के लिए प्रशासन की ओर से बाली एडीएम, एएसपी चैनसिंह महेचा, एसडीएम कालूराम कुम्हार, डीएफओ पी. बाला मुरुगन और सीओ जितेंद्रसिंह के साथ वार्ता हुई।
तीसरे दौर की वार्ता सफल रही, जिसके बाद एसडीएम कालूराम कुम्हार ने धरना स्थल पर घोषणा की कि मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपये वन विभाग योजना से, 5 लाख रुपये स्थानीय प्रशासन की ओर से और 5 लाख रुपये जनप्रतिनिधियों के सहयोग से दिए जाएंगे। साथ ही, 5 बीघा भूमि का आवंटन, परिवार के एक सदस्य को संविदा पर नौकरी और अवैध सफारी पर रोक लगाने की भी सहमति बनी।
इसके अलावा, प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया कि जवाई कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में हो रही अवैध सफारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाएगी और बिना रजिस्ट्रेशन चल रही जिप्सियों की जांच की जाएगी।
यह धरना 24 घंटे तक चला और प्रशासन की ओर से आर्थिक सहायता और अन्य मांगों को पूरा करने की घोषणा के बाद शाम 7 बजे समाप्त हुआ।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन के इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अगर अवैध सफारी पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई गई और वन विभाग की लापरवाही जारी रही, तो वे आगे भी आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में लेपर्ड के हमलों की संख्या बढ़ी है, जिसका मुख्य कारण अवैध सफारी और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में मानवीय दखल है।
निष्कर्ष
इस घटना के बाद प्रशासन को अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। क्षेत्र के लोगों का मानना है कि जब तक वन विभाग की निष्क्रियता और प्रशासन की उदासीनता बनी रहेगी, तब तक इस तरह की घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। प्रशासन को चाहिए कि अवैध सफारी पर पूरी तरह रोक लगाए, जिप्सियों की नियमित जांच करवाए और वन्यजीव संरक्षण को प्राथमिकता दे।