सुमेरपुर। जवाई बांध क्षेत्र में एक दर्दनाक घटना ने समूचे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक युवक पर तेंदुए (लेपर्ड) ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। इस घटना के बाद भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी अशोक महरिया, DFO उदयपुर ने जवाई बांध के वर्तमान हालात पर बेबाकी से Pali News Today पर अपनी राय रखी ।
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फोटो सहयोग : लक्षमण पारंगी, फोटो जर्नलिस्ट |
मानव और तेंदुओं का अनूठा सामंजस्य
IFS अधिकारी महरिया ने बताया कि जवाई और आसपास की पहाड़ियों में लम्बे समय से मानव और तेंदुओं के बीच एक अनूठा तालमेल देखा गया है। यह विश्वभर में अध्ययन और शोध का विषय रहा है कि किस प्रकार यहां मानव और तेंदुए एक-दूसरे के साथ सामंजस्य बनाकर रहते आए हैं। इस क्षेत्र की विशेषता यह रही है कि तेंदुए कभी भी इंसानों पर हमला नहीं करते थे और ना ही स्थानीय लोग उनकी मौजूदगी से असहज महसूस करते थे।
अनियंत्रित पर्यटन से बढ़ता खतरा
हालांकि, हाल के वर्षों में जवाई क्षेत्र की लोकप्रियता में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है। देश-विदेश से आने वाले शोधकर्ताओं और वन्यजीव प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों की भारी भीड़ यहां उमड़ने लगी है। लेकिन पर्यटन के इस अनियंत्रित प्रसार ने तेंदुओं के प्राकृतिक पर्यावास को प्रभावित किया है।
महरिया ने बताया कि पर्यटन गतिविधियों पर कोई नियमन नहीं होने के कारण यह एक अनियंत्रित और गैर-जिम्मेदाराना रूप ले चुका है। पर्यटन के नाम पर तेंदुओं के प्राकृतिक आवासों पर अतिक्रमण, उनके विचरण के रास्तों को बाधित करने और रात के समय तेज सर्चलाइट से उनकी गतिविधियों को बाधित करने जैसी हरकतें बढ़ती जा रही हैं। इस कारण तेंदुओं के व्यवहार में उग्रता देखी गई है।
पर्यटन और लालच के चलते बढ़ता संकट
विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यटन उद्योग में शामिल लोगों ने लालच के चलते तेंदुओं और इंसानों के बीच सदियों से चले आ रहे संतुलन को बिगाड़ दिया है। यही कारण है कि अब तेंदुए आक्रामक होते जा रहे हैं और हमलों की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। हाल ही में एक पशुपालक पर तेंदुए के शिकार का यह मामला इसी असंतुलन का परिणाम माना जा रहा है।
सरकार और प्रशासन को उठाने होंगे ठोस कदम
इस घटना के बाद वन्यजीव विशेषज्ञों और वन विभाग के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो जवाई का यह दुर्लभ तालमेल जल्द ही इतिहास बन जाएगा। वन विभाग को सुदृढ़ करते हुए क्षेत्र की पारिस्थितिक भार क्षमता का आकलन कर नियंत्रित पर्यटन नीति लागू करने की आवश्यकता है।
साथ ही, राजस्व विभाग को वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर अवैध अतिक्रमण और अनियंत्रित गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी।
पूर्व अनुभव का लाभ उठाएंगे अधिकारी
गौरतलब है कि अशोक महरिया इससे पहले जवाई क्षेत्र में सहायक वन संरक्षक (ACF) के पद पर कार्य कर चुके हैं। ऐसे में उनके अनुभव से इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने में सहायता मिल सकती है।